वर्ष १८८२ में अक्टूबर-नवंबर १९६६ ई० में अखिल भारतीय स्तर पर गोरक्षा आन्दोलन चला।
गौ संवर्धन व संरक्षण का संकल्प दिलाया तो श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि हमारी भारतीय संस्कृति और सभ्यता में भगवान श्री कृष्ण के समय से ही गोपालन की परंपरा रही है। यह संपूर्ण गोपालन के लिए ही विश्व में जानी जाती है। आज जिस तरह से हम लोग गोपालन की परंपरा से विमुख होते जा रहे हैं वह सोचनीय विषय है। गौ माता की एकमात्र ऐसा जीव है जिसमें 33 करोड़ (प्रकार) देवी देवता निवास करते हैं । 33 करोड़ (प्रकार) देवी देवताओं का एक साथ पूजन करने का पुण्य फल गौ माता के पूजन से प्राप्त होता है। तो आगे आकर इस गौरवशाली गोपालन की परंपरा को जीवंत रखने का प्रयास करना चाहिए।
यह दुनिया की पहली ऎसी घटना थी जिसमे एक हिन्दू संत ने गौ माता की रक्षा के लिए 166 दिनों तक भूखे रह कर अपना बलिदान दिया था। बिल्कुल उसी तरह से हम गोरक्षण का प्रयास करना चाहिए तो इसीलिए आप अपने यथारूप से जितना हो सके आप अपने परिवार के हेतु और अपने मोक्ष प्राप्ति हेतु के लिए दान के स्वरूप में दे।